छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने असम में पहले चरण के मतदान का प्रचार थमने के बाद कहा कि पिछले चुनाव में भाजपा ने जो वादे किए थे, उसे लोग भूले नहीं हैं। भाजपा जो वादे करती है, उसे कभी पूरा नहीं करती। भाजपा कभी अपने चुनावी वादों के आधार पर वोट नहीं मांगती। भाजपा सिर्फ भय दिखाकर वोट मांगती है। उन्होंने कहा कि सर्बानंद सोनेबाल के क्षेत्र में भी मैं गया था। वहां के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल बनाने का जो वादा उन्होंने किया था। 5 साल बाद भी उसका डीपीआर तक नहीं बना। पहले चरण का प्रचार समाप्त होने के बाद गुवाहाटी में मुख्यमंत्री ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि भाजपा कभी अपने किए कामों के बूते पर वोट नहीं मांगती। भाजपा ये कभी नहीं कहती कि हमने लाखों बेरोजगारों को रोजगार दिया। किसानों की आय दोगुनी की इस बूते वोट दिया जाए। इस बार का चुनाव अलग है इस बार जनता असम को बचाने के लिए वोट करने जा रही है। साथ ही महागठबंधन को भारी भरकम जीत दिलाएगी।
जवाब देने से बच रहे मोदी उन्होंने कहा कि पिछले समय जो धोखा हुआ था, असम की जनता उसे पहचान चुकी है। जनता असम को बचाने के लिए वोट देगी। जनता सीएए क़ानून से असम को बचाने के लिए वोट देगी। इस बार असम जीतने जा रहा है। भाजपा बैकफुट पर है और डरी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह एवं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह असम की जनता के सवालों का जवाब देने से बच रहे हैं। असम में मुख्य मुद्दा बेरोजगारी और बाढ़ से तबाही एवं चाय बागान के मजदूरों का भत्ता व तस्करों का सिंडिकेट है। ऐसे सवाल लगातार उठाए जा रहे हैं लेकिन भाजपा इस पर चर्चा तक नहीं कर रही। सीएए को लेकर भ्रम फैला रहे भाजपा नेता मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए को लेकर भाजपा असम में कुछ और कहती है, बंगाल में कुछ और कहती है। भाजपा के तीन गले हैं। पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता टेबल ठोककर कहते हैं कि पहली कैबिनेट में सीएए लागू करेंगे लेकिन असम में आते ही ये नेता चुप हो जाते हैं। तमिलनाडु में उनके नेता कहते हैं, सीएए गले की फांस बन गई है। उन्होंने कहा कि असम में कांग्रेस की सरकार आई तो सीएए लागू नहीं होगा। देश से नहीं, वोट से मतलब उन्हाेंने कहा कि भाजपा को सिर्फ वोट लेने से मतलब है। उन्हें देश से मतलब नहीं है। ये अंग्रेज के अनुयायी और उनके समर्थक हैं। फूट डालो राज करो की नीति से सांप्रदायिकता का जहर फैलाकर वोट लेना तो जानती है लेकिन अपने वादों को पूरा करना उन्हें नहीं आता।